Thursday, April 6, 2017

अब गोरखालैंड गोरखा प्रदेश के नाम से जाना जाएगा

नई दिल्ली 6 अप्रैल । उच्चतम न्यायालय परिसर में स्थित भारतीय न्यायिक संस्‍थान (इंडियन लॉ इंस्टिट्यूट) में  राष्ट्रीय क्षेत्रीय मंच और लाइव वैल्यू फाउंडेशन के तत्‍वाधान में "क्षेत्रीय न्याय पर सम्मेलन" का आयोजन गत दिनों किया गया। इसका उद्देश्य गोरखाओं की समस्या और उनके साथ हुए निरंतर पक्षपात और अन्याय पर प्रकाश डालना था। पहली बार ब्रिटिश भारत द्वारा और फिर भारतीय सरकारों द्वारा लंबे समय तक गोरखाओं की उपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए गोरखा प्रदेश की मांग बढ़ी जो आज तीव्र आंदोलन के रूप परिणित हो गया है।  सन 1814 में एंग्लो-गोरखा युद्ध से वर्तमान तिथि तक गोरखा के अमुल्य  बलिदान और राष्ट्र की सेवा के लिए अनुकरणीय साहस को सबने माना है। उपरोक्‍त सम्मेलन में दार्जिलिंग, तराई डुवर्स के एवं उत्तरांचल, तेलंगाना और उत्तर-पूर्व से प्रतिभागियों ने भाग लिया। साथ ही विभिन्न गोरखा संगठनों के प्रतिनिधियों भी इस उद्देश्य के लिए एकजुट हुए। गोरखा संगठनों ने भारत के अधीन रहकर पश्चिम बंगल राज्य से अलग होकर राज्य गठन मुख्य मुद्दा बताया ।
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इस कार्यक्रम मे  तेलंगाना और त्रिपुरी स्वदेशी लोगों के प्रतिनिधियों- क्रमशः अनुसूचित जाति एड्वेट रेड्डी और अघोर देब बर्मन ने भी अपनी मांगों को आवाज़ देने के लिए कार्यक्रम में भाग लिया। अखिल भारत हिन्दू महासभा के योगी ब्रह्मऋषि डॉ0 संतोष राय ने कहा कि गोरखालैंड के बजाय गोरखा प्रदेश की मांग की जानी चाहिए, क्योंकि गोरखालैंड से नागालैंड जैसे अलगाववाद की दुर्गन्ध आती है। आगे उनहोंने कहा कि उनका संगठन "एबीएचएम गोरखा प्रदेश का समर्थन करता है। गांधी की आलोचना करते हुए योगी ब्रह्मऋषि ने कहा, "गोरखा प्रदेश का गठन गांधीवाद के माध्यम से नहीं बल्कि चाणक्य नीति के द्वारा किया जाएगा।
प्रमुख गोरखा नेता, उत्तम छेत्री ने अपनी आवाज को मुखर करते हुए कहा कि, गोरखाओं को भारत के इतिहास में जोड़ा तो गया लेकिन उनके अधिकार उन्हें नहीं  मिल सके जबकि गोरखाओं ने विषम से विषम परिस्थितियों में नागा और बोडो की भांति हथियार नहीं उठाये। राजनीतिक दलों ने उन्हें बार-बार धोखा दिया है और उन्हें हर बार से झूठी उम्मीदें दी हैं। उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है और बाद में सीट मिलने के बाद मंत्री गोरखा प्रदेश की प्रमुख  मुद्दा भूल जाते हैं। सही मायने में देखा जाए तो "गोरखा  आईएसआई झंडे नहीं फहराते हैं  इसलिए शायद हमें कश्मीरियों की तरह सुविधाएं नहीं मिलतीं। लेकिन हम कश्मीरी नहीं हैं, हमारी मांग अलगाववादी नहीं हैं"।
 श्री छेत्री ने अपनी बात आगे बढाते हुए कहा  कि हम गोरखा ने भारत माता के सुरक्षा को लेकर अपने  प्राणों की  आहुति दिया है  किंतु उनके बलिदान को आज तक कोई नहीं सोचता और भारत आजादी  के समय  से भारत के संविधान बनाने तक गोरखा ने देश का साथ दिया। गोरखा देशहित के कार्यों में बढ‌-चढ कर सहभागी होता था इतना ही नहीं वह सुशिक्षित व राजनीतिक रूप से पूरी तरह परिपक्व था। आप इसे इस तरह के उदाहरण से समझ सकते हैं कि  1992 में लागू हुए संविधान में गोरखाओं की भाषा के पंजीकरण को प्राप्त करने के लिए 43 अहिंसक संवैधानिक युद्धों को लड़ा है। श्री छेत्री ने  अपने ह‌ृदय की पीडा को  व्यक्त की कि 1947 में सिर्फ 1.2 मिलियन सिंधियों के भारत सरकार में 2 प्रतिनिधि थे, लेकिन 3 लाख गोरखाओं के लिए केवल 1 प्रतिनिधि ही थे। इस तरह के "गणित क्या दर्शाता है?"
श्री छेत्री ने कहा कि  हम सभी गोरखा प्रतिनिधि एक सामूहिक पीड़ा व्यक्त करने के लिए एकजुट हुए  हैं। एक  संविधान के बावजूद एक अलग भाषा व भोजन की आदत, चेहरे की विशेषताओं, साहित्य, स्थानीय संस्कृति, किसी विशेष क्षेत्र में बहुसंख्यक बनाने  यह गोरखा वाले एक समुदाय के तहत उस क्षेत्र का एक अलग प्रांत बना सकता है। भारतीय संघ, गोरखा मातृभूमि अभी भी एक सुदूर स्वप्न है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा ने प्रस्तावित गोरखा प्रदेश के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर बल दिया जिसे भारत के लिए रणनीतिक रूप से चिकन गर्ल कहा जाता है। अगर भारत सरकार अलग राज्य गठन करती है तो सिक्किम राज्य से लेकर नेपाल, भूटान बंगला देश आदि सीमा से सटा क्षेत्र पर सुरक्षा की दृष्टिकोण से अच्छा होगा। आगे उन्‍होंने कहा कि वरिष्ठ हिंदू महासभा नेता योगी ब्रह्मऋषि डॉ0 संतोष राय ने सम्मेलन के माध्यम से गोरखा संगठनों के साथ एक राजनीतिक गठबंधन बनाया है,  हालांकि इस समझौते का विवरण अभी भी गुप्त है। सम्भावना है कि हिंदू महासभा  गोरखा प्रदेश में चुनाव लड़ेगी और यदि निर्वाचित होती है तो संसद में गोरखा प्रदेश की मांग बढ़ाएगी। योगी ने प्रस्ताव किया कि गोरखा प्रदेश केवल दार्जिलिंग तक ही सीमित नहीं रहेगा, अलिपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, कालिम्पोंग और कोछबीर जैसे गोरखा बहुमत वाले आसपास के क्षेत्रों को भी प्रस्तावित गोरखा प्रदेश के तहत लाया जाएगा। आगे उन्‍होंने कहा कि "ममता बनर्जी नाराज होंगी लेकिन हम अब हम उनकी परवाह नहीं करते। गोरखा प्रदेश कभी भी पश्चिम बंगाल से संबंधित नहीं था। 1954 में गोरखा प्रदेश 'अवशोषित' किया गया था, इसे पश्चिम बंगाल के साथ 'कभी विलीन नहीं किया गया,' योगी ने एक कड़े स्वर में कहा।
"वहीं पहाड़ दार्जीलिंग आए हुए किशोर प्रधान ने कहा है गोरखा जाति  के लिए अलग राज्य क्यों हो, इस पर प्रकाश डाला । श्री प्रधान ने पिछले 110  साल से गोरखा जाति बंगाल से अलग राज्य की मांग करते हुए अपनी  आवाज उठा रहा है परन्तु आज उसकी मांग को राष्ट्रीय अधिकर मंच  जो उठा  रहा है यह गोरखा जाति का सम्मान  है  और जब वे  दार्जीलिंग जाएंगे तब  पार्टी मे सलाह-मशविरा  कर के गोरखा प्रदेस का नाम मांग करने का  सर्वसम्मति से प्रस्ताव लाएंगे।
और, देहरादून से आयीं पूजा गोरखा ने स्मृति साझा की कैसे गोरखा भाषा एक आंदोलन के माध्यम से मान्यता प्राप्त हुयी थी जिसे देहरादून के आनंद सिंह थापा द्वारा शुरू किया गया था और प्रस्तावित किया गया कि गोरखा प्रदेश के लिए इतिहास को दोहराते हुए उसी देहरादून से पुन: गोरखा प्रदेश आंदोलन की शुरूआत करनी चाहिए।
गोरखा राज्य निर्माण समिति के नेता  दावा पखरीन, देवी काली के धार्मिक  गोरखनाथ अनुयायी हैं। उन्होंने महाष्टमी स्तोत्र के माध्यम से अपना भाषण शुरू किया। उन्होंने अखिल भारत हिंदू महासभा को राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाने के लिए आभार व्यक्त किया: "हम आभारी हैं कि गोरखा नहीं होने के बावजूद एबीएचएम कार्यकर्ताओं ने हमारे कारणों के लिए गंभीर चिंताओं को उठाया है," श्री पाखरीन ने धन्यवाद किया, जिसके लिए पूरे गोरखा नेतृत्व ने स्वर में सहमति व्यक्त की।
श्री पाखरीन ने कहा, "हम अलगाववादी नहीं बल्कि संघवादी हैं, हम भारतीय संघ में एक और  राज्य चाहते हैं- गोरखा प्रदेश। "भारत के सविधान के तहत एक अधिकार के तहत अलग राज्य का मांग कर रहा हूं  परन्तु बंगाल सरकार क्यू अड़चनें डाल रही  है जबकि जो क्षेत्र बंगाल का भू-भाग ही नहीं है जो 1954 के एक एक्ट  के तहत बंगाल के अधीन है। जोइन्ट एक्सन कमिटि आफ तेलांगना का दिल्ली के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के वकील डी आर के   रेड्डी ने एक चौंकाने वाला विडंबना बताया कि तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करने के बाद, आंध्र प्रदेश तेलंगाना की तुलना में अधिक उन्नत होने के बावजूद भारत सरकार से विशेष दर्जा प्राप्त करना था और गोरखाओं का बहुत लंबे समय से अलग राज्य का मांग कर रहा है उसको तेलांगना समर्थन और साथ देगा ।
इस अवसर पर वरिष्‍ठ समाज सेविका पूजा सुब्‍बा भी थी उन्‍होंने अपने वक्‍तव्‍य में कहा कि मैं शीघ्र ही गोरखा प्रदेश के लिए दीर्जिलिंग से दिल्‍ली तक की पद-यात्रा करूंगी। उन्‍होंने गोरखा जाति का सम्‍मान करते हुए एक कविता सुनाई जिसके बोल थे :
वीर गोरखा, वीर गोरखा। हाम्रो जाति है, वीर गोरखा।।
पुर्खाले कमाएको नाम गोरखा।। पुर्खाले गुमाएको जियान गोरखा।
वीर गोरखा, वीर गोरखा। हाम्रो जाति नै वीर गोरखा।।
पहाड़ी भेख नै हामरो पहिचान हो, खुखरी टोपी नै हम्रो शान हो।
वीर गोरखा, वीर गोरखा। हाम्रो जाति नै वीर गोरखा।।
ये गोर्खाली सिर हाम्रो कहिले न झुकने। हिमाल सरी शत्रु अधि सधैं अडि़ रहने।।
वीर गोरखा, वीर गोरखा। हाम्रो जाति है, वीर गोरखा।।
देश को निमित्‍त सिर चढ़ाउने, शुत्रु को निमित्‍त खुखुरी नचाउने।।
वीर गोरखा, वीर गोरखा। हाम्रो जाति नै वीर गोरखा।।
अखिल भारत हिंदू महासाभा ने गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गंभीर चिंताओं को उठाया। राष्ट्रीय सुरक्षा विषयों को ध्यान में रखते हुए एबीएचएम  नेतृत्व ने पूर्वोत्तर में अपनी राजनीतिक परियोजनाओं में अधिक गंभीरता लाने के प्रति वचन दिया। संबंधित क्षेत्रों में मिट्टी के बेटों के लिए एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण मातृभूमि की नई आशा के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।उपरोक्त   समारोह में गणमान्य जन थे :  राष्ट्रीय अधिकार मंच अध्यक्ष रवि रंजन सिहं , सदस्य हर्क बहादुर छेत्री , राकेस लिमए , देवन्द्र प्रसाद आदि ।

Monday, May 9, 2016

अवैध अतिक्रमण पर मुख्‍यमंत्री मौन

उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि तालाबों, कुओं पर किसी भी व्यक्ति का अतिक्रमण हो, उसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाये। चाहे यह अतिक्रमण कितना भी पुराना क्यों न हो। इसी को ध्यान में रखते हुए  शासन और प्रशासन की अनदेखी के चलते जलस्रोतों को बर्बाद होते देख वर्ष 2001 में एक पीआईएल 4787/2001 उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई। दाखिल पीआईएल की गम्भीरता को देखते हुए 25 जुलाई 2001 को सैयद शाह कादरी एवं एसएन फूकन न्यायाधीशों ने संयुक्त रूप से आदेश दिया कि तालाबों, पोखरों, बावडि़यों तथा कुओं का न तो स्वरूप बदला जा सकता है और न ही किसी तरह का अतिक्रमण किया जा सकता है। तालाबों, पोखरों, बावडि़यों तथा कुओं पर जो भी अतिक्रमण हो उसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाये।


सनद रहे कि प्रदेश के शहरी एवं ग्रॉमीण क्षेत्रों में अनेकों स्थानों पर भूजल की उपलब्धता में कमीं आने के साथ ही भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आई और भूगर्भशास्त्रियों ने आशंका जाहिर की कि यदि यही हालात रहे तो आगामी वर्षों में पानी का भयंकर संकट देश के समक्ष खड़ा हो जाएगा तब इसी को ध्यान रखते हुए 18 फरवरी 2013 को प्रदेश में उत्तर प्रदेश भूजल प्रबन्धन, वर्षाजल संचयन एवं भूजल रिचार्ज हेतु समग्र नीतिलागू की गई। इस समग्र नीति को क्रियान्वयन को कई विभागों को सौंपा गया।

इतना ही नहीं भूजल की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्राकृतिक जलस्रोतों तालाबों, पोखरों तथा कुओं को संरक्षित करने के लिये 1 अप्रैल 2015 को मुख्यमंत्री जल बचाओ अभियान योजनाको लागू किया है। जिसे कड़ाई से पालन करनें पर पूरी तरह जोर दिया है। लेकिन शासन-प्रशासन ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों को दरकिनार करते हुए जलस्रोतों पर कोई भी ध्यान नहीं दिया।

क्या है यहाँ के अतिक्रमण का मामला

भूमाफियाओं द्वारा भूजल से संबंधित अतिक्रमण का मामला ग्रॉम/पोस्ट-परियत, क्षेत्र-बरसठी, तहसील-मडि़याहूँ, जिला-जौनपुर, उत्तर प्रदेश का एक नया मामला संज्ञान में आया है। यहाँ के सरकारी अधिकारियों के सरपरस्ती में एक कुँआ जिसे ग्रॉमवासी कोतवाली का ईनारा कहते हैं जो पखण्डी सोनार व मल्लर तिवारी के घर के पास में है, का तीन ओर से जमीन के लालच में एक दबंग महिला विजय लक्ष्मी व उसके पति सुरेश वकील (उमर)  नें बुरी तरह अतिक्रमण कर लिया है। ये कुआँ गाँव परियत का एक ऐसा पुराना कुआँ है जहाँ से गाँव के किसान अपने खेतों की सिंचाई किया करते थे, मगर भूमाफिया दबंगों के कारण आज यह कुआँ अपने दुर्भाग्य और दुर्दिन पर जार-जार से रो रहा है। सनद रहे कि उपरोक्त दबंग व भूमाफिया विजय लक्ष्मी एवं उसके पति सुरेश वकील (उमर) दूसरे के जमीन को कब्जाने की नियति रखने वाले लोभी प्रकृति के हैं  जिनकी कुदृष्टि दूसरों के जमीन पर हमेंशा लगी रहती है।

 ज्ञात रहे कि उपरोक्त कुँआ को पूर्व, पश्चिम और उत्तर की ओर से पूरी तरह भूमाफियाओं नें घेर लिया है। इसमें दक्षिण की ओर से एक लिंटर पड़ा है। भूमाफियाओं नें इसे सिर्फ आगे की ओर कुआँ  तक जानें के लिए एक छोटा सा सँकरा रास्ता छोड़ा है। गाँव के सारे ग्रॉमवासी सब कुछ जानते हुए उपरोक्त भूमाफियाओं के दबंगई के डर से मौन साध लिए हैं, गाँव वाले इनके आगे बुरी तरह सहमें से रहते हैं। ये माफिया खुलेआम कहते हैं कि कोई हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता जिसको मेरी शिकायत जहाँ भी करनी हो कर दे। सपा के कुछ छुटभैया नेता परोक्ष रूप से इनके सहायक हैं जिनके दम पर ये भूमाफिया अपने घिनौने काम को अंजाम देते हैं। सनद रहे कि जब कुँआ के अतिक्रमण की जानकारी  पहली बार सरकारी अधिकारियों को मिली तो ऑनन-फॉनन में इस अतिक्रमण को गिरा दिया गया, मगर पैसे और पावर के दम पर ये दबंग फिर इस कुँआ का बुरी तरह अतिक्रमण करने में सफल हो गए।

आज आवश्यकता है इस कोतवाली के कुँआ का अतिक्रमण पूरी तरह से छुड़ाया जाए व माननीय मुख्यमंत्री के आदेशों का यथाशीघ्र पालन कराया जाए। ग्रॉम परियत के सारे ग्रॉमवासी , आस-पास के किसान व पथिक इस कुँआ के अतिक्रमण से छुटकारा चाहते हैं।

आंदोलन की तैयारी   

शासन-प्रशासन की लापरवाही के कारण आज तालाब और कुँओं का न तो ठीक से रख-रखाव हो रहा है  न ही अवैध अतिक्रमण से बचाव । इसी को ध्यान में रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता व राष्ट्रवादी नेता पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र व डॉ0 संतोष  राय नें पूरे देश में एक आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है, इसके लिए जहाँ कहीं भी कुँआ व तालाब का अतिक्रमण है उसे हटवाने के लिए वे हरसंभव प्रयास करेंग चाहे उसके लिए किसी भी उन्हें किसी भी सीमा तक जाना हो। और, इसकी शुरूआत उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव परियत से कर दी है। ज्ञात रहे कि यहाँ के कुँआ का अतिक्रमण हटाने के लिए पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र नें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को 15/19 अप्रैल, 2016 को एक पत्र भी लिखा है। अब देखना है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस पर क्या कार्यवाही करते हैं।

अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री से शिकायत


      अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री से शिकायत

अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री से शिकायत

अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री मौन

http://deshhit.blogspot.in/2016/05/blog-post.html

Tuesday, April 19, 2016

हिन्दू महासभा के संघ से मतभेद लेकिन मनभेद नहीं

राष्ट्रीय राजधानी इन्द्रप्रस्थ(नई दिल्ली)। हिंदुत्व एवं राष्ट्रवाद के विषय पर हिन्दू महासभा एवं संघ की विचारधारा में छत्तीस का आंकड़ा है लेकिन जो लोग संघ की तुलना ISIS से करते हैं या संघ मुक्त भारत की बात करते हैं तो हिन्दू महासभा उनके साथ बिलकुल नही है ।



यह बात जानना भी आवश्यक है की संघ की स्थापना में हिन्दू महासभा का बहुत बड़ा योगदान था और संघ के संस्थापक डॉ केशवराम बलिराम हेडगेवार कांग्रेस के सदस्य थे औरे उन्होंने कांग्रेस की मुस्लिम तुष्‍टीकरण  की नीतियों से तंग आकर कांग्रेस को छोड़कर संघ की स्थापना की और साथ ही साथ हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय  उपाध्यक्ष भी बने तथा संघ के स्वयंसेवक हिन्दू महासभा की भी गतिविधियों में हिस्सा लेते थे ।
संघ एवं हिन्दू महासभा के सम्बन्ध डॉ हेडगेवार की मृत्यु के पश्चात बिगड़ते चले गए और उसका श्रेय संघ के दूसरे सर-संघचालक गुरु गोलवलकर जी को जाता है, क्योंकि वो हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय कार्यालय मंत्री का पद पाने के लिए जी तोड़ संघर्ष कर रहे थे तो वह उस पद के चुनाव को हार गए, इस हार को गुरूजी पचा नही पाए और संघ को इन्होने हिन्दू महासभा एवं इसकी गतिविधियों से अलग रखना शुरू कर दिया ।

यहाँ तक की विभाजन से पहले हुए केन्द्रीय सभा के चुनावों में गुरु जी ने हिन्दू महासभा को हराने के लिए संघ के स्वयंसेवकों को आदेश दिया की चुनावों में कांग्रेस का साथ दें, ऐसा होने पर हिन्दू राष्ट्र एवं अखण्ड भारत की प्रबल समर्थक हिन्दू महासभा को काफी नुकसान हुआ कांग्रेस और मुस्लिम लीग को काफी फ़ायदा मिला तथा परिणाम स्वरुप पाकिस्तान का निर्माण हिन्दुओं की ही लाशों पर हुआ ।

समय-समय पर संघ को गांधीवादी समर्थन देते रहे लेकिन गांधीवादी लोग उस समय भी वीर सावरकर और हिन्दू महासभा को गाली भी देते रहे और आज भी गांधीवादी लोग वीर सावरकर को गाली देते हैं, लेकिन सन 1950 में संघ ने एक दूसरी कांग्रेस बनाई जिसका नाम रखा जनसंघ और यह पार्टी कांग्रेस की ही फोटोकॉपी बनी ।
संघ की शाखाओं में गाया जाने वाला राष्ट्रवादी गीत "नमस्ते सदा वत्सले" वीर सावरकर के बड़े भ्राता गणेश सावरकर ने ही लिख था ।

अब कुछ दिनों से चलन हो चला की कभी संघ की तुलना कभी ISIS से की जाती है तो कभी संघमुक्त भारत के नारे को भी बोलते हैं  जो लोग ऐसा कह रहे हैं वो लोग कभी ISIS मुक्त भारत या आतंकवाद मुक्त भारत की बात नही करेंगे ।

न जाने कितने स्वयं सेवक कम्युनिस्‍ट  पार्टी एवं मुस्लिम लीग के द्वारा आये दिन मारे जाते हैं और ऐसा नही है की हिन्दू महासभा ऐसी हत्याओं का खण्डन नही करती जबकी प्रतिक्रिया भी देती है लेकिन हिन्दू महासभा की भी यही अपेक्षा रहती है की ठीक है यदि संघ राजनितिक रूप से हिन्दू महासभा के साथ न खड़ा हो कम से कम हिंदुत्व एवं राष्ट्रवाद के विषयों पर तो हमारा साथ दे ।  माना की हम लोगों के संघ से राजनितिक मतभेद हैं लेकिन मनभेद तो न रखें या उदासीनता न रखें ।

हम लोगों का मतभेद संघ की विचारधारा से नही है अपितु उसमे बैठे लोगों की संघ से इतर विचारधारा से है जो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु मेल नही खाती ।

पुत्र कितना भी कुपुत्र क्यों न हो जाये लेकिन यदि पुत्र पर कोई अन्य बाहरी व्यक्ति हमला करता है तो धर्म यही कहता है की पुत्र जो की अब कुपुत्र है उसका साथ दिया जाए शायद उसमे परिवर्तन आ जाय चाहे वो मतभेद भी रखे ।

लेकिन हिन्दू महासभा को राजनीति में शून्य करने के कई कारक हैं और उसके लिए हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि हमारे पुर्व के कई सम्मानित नेता भी उदासीन रहे राजनिति को लेकर ।

आज के परिदृश्य में हिन्दू महासभा की जो स्थिति है उस पर बोलना उचित नही है लेकिन इतना अवश्य कहूँगा की यदि मैंने थोडा बहुत भी माँ भवानी की पूजा की है तो माँ भवानी की कृपा से हिन्दू महासभा ही इस राष्ट्र का भविष्य होगा ।  हम हिन्दू महासभाई दृढ संकल्प के साथ मतभेद/मनभेद को भुलाकर संगठन को राजनीति में विकल्प के रूप में खडा करें ।  बात रही संघ के लोगों की तो वे हमारा कभी साथ नही देंगे लेकिन हम कभी भी धर्म, राष्ट्र एवं हिंदुत्व के विषय पर उन शक्तियों का साथ नही देंगे जो लोग हमारे भी विरोधी हैं ।
जय भवानी जय हिन्दू राष्ट्र ।

Source:

drsantoshrai.in

hindumahasabhaa.org



Saturday, April 16, 2016

अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया कांग्रेस नेः

 भ्रष्‍टाचार में  सबसे आगे हैं  सोनिया की कांग्रेस

280 लाख करोड़ का सवाल है ...




भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टरaa. यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30सालों का... बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है. या यूँ कहें कि 60 करोड़
रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह
सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने
कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है. हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ..
स्वामी रामदेवजी से ही क्यों डरती है कांग्रेस? विदेशी लोगों का समर्थ...न करने वाली मिडिया क्यों पड़ी है स्वामी जी के पीछे ???? दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है स्वामी रामदेव जी से ही कांग्रेस क्यों परेशान है और डरती है, जानिए कारण:
  1. स्वामी रामदेवजी जी के तर्क के आगे कांग्रेस के तथाकथित प्रवक्ता 5 मिनट भी नहीं टिकेंगे.
  2. स्वामी जी के पास कांग्रेस का वास्तविक इतिहास का साक्ष्य है और कांग्रेस के कारनामो का काला चिटठा है,
  3. अभी तो बात आएगी मंच पर बहस की, जिसकी की आगे के किसी भी चुनाव में जोर देकर मांग की जायेगी, तब ये अज्ञानी प्रवक्ता मंच पर जनता को क्या जवाब देंगे, सरकार हर साल लोगों से 134 प्रकार के टैक्स से कितना पैसा जमा कराती है और ये पैसे कहा खर्च हो जाते है? मंदिरों का पैसा सरकार किस मद में खर्च कराती है जिसे सिर्फ हिन्दू दान देकर इकठ्ठा करता है, ये बहुत बड़ा प्रश्न है.
  4. मंच पर ये बहस नहीं होगी की क्या विकास किया, बहस होगी की राहुलसोनिया, चिदंबरम, पवार, मनमोहन, विलासराव देशमुख, अहमद पटेल, प्रणव मुखर्जी जैसे लोंगो के भी काले धन के खाते है क्या?
  5. काले धन का इतिहास क्या है, पहले कपिल सिब्बल ने कहा कोई भी नुकसान २ जी घोटाले में नहीं हुआ है, फिर अहलुवालिया ने कहा की हा वास्तव में कोई घोटाला नहीं हुआ है, फिर मनमोहन ने कहा इसकी जाँच चल रही है, विपक्ष को टालते रहे, राजा जैसा आदमी जिसके पास अपनी मोबाइल को टाप अप करने का पैसा नहीं हो, यदि वह अपनी पत्नी के नाम 3000 करोड़ रुपया मारीशाश में जमा कर दे, क्या यह सब बिना सोनिया की जानकारी के कर सकता है, उस पार्टी में जहा पर बिना सोनिया के पूछे कोई वक्तव्य तथाकथित प्रवक्ता नहीं दे सकते हैफिर आया महा घोटाला देवास-इसरो डील का जिसमे की 205000 करोड़ की बैंड विड्थ को मात्र 1200 करोड़ के 10 साल के उधार के पैसे में दे दिया गयाभला हो सुब्रमनियम स्वामी जी का जिन्हें इन चोरो को नंगा कर दिया, हमारी कांग्रेसी और विदेशी मिडिया सुब्रमनियम स्वामी की तस्वीर हमेशा से गलत पेश किया है जब की वास्तव में भारत देश को ऐसे ही इमानदार नेताओ की जरुरत है जिसने कभी भी चोरी के बारे में सोचा ही नहीं, फिर आया कामनवेल्थ खेल का 90000 करोड़ का घोटाला, फिर कोयला का घोटाला जिसमे ठेकेदारों द्वारा 10 पैसे प्रति किलो के भाव से कोयला खरीदा जाता है और उसे बाजार में रुपये किलो तक बेचा जाता है, यह रकम अब तक 26 लाख करोड़ होती है,
  6. इटली के 8 बैंक और स्वीटजरलैंड के 4 बैंको को 2005 में भारत में क्योंखोला गया है और इसमे किसका पैसा जमा होता है, ये बैंक किसको लोन देते है और इनका ब्याज क्या है, इनकी जरुरत क्यों आ पड़ी भारत में जब की भारत के ही बैंकरों की बैंक खोलने की अर्जियाँ सरकार के पास धूल खा रही है, इन बैंको को चोरी छुपे क्यों खोला गया है, इन बैंको आवश्यकता क्यों है जब भारत में 80% लोग 20 रूपया प्रतिदिन से भी कम कमाते है.
  7. भारत के किसानो से कमीशन लेने वाले चोर कत्रोची के बेटे को अंदमान दीप समूह में तेल की खुदाई का ठेका क्यों दिया गया 2005 में, किसने दिया ठेका, किसके कहने पर दिया ठेका, क्या वहा पर पहले से ही तेल के कुऊ का पता लगाकर वह स्थान इसे दे दिया गया जैसे की बहुत बार खबरों में अन्य संदर्भो में आती है, यह खबर क्यों छुपाई गयी अब तक, इसे देश को क्यों नहीं बताया गया, मिडिया क्यों इसे छुपा गई, और विपक्ष ने इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया.
  8. सरकार ने पहले कहा की बाबा बकवास कर रहे है, काला धन नाम की कोई चीज नहीं है,
  9. फिर खबर आयी की काला धन है और सबसे ज्यादा भारतीयों का है, यह स्विस बैंको के आलावा 70 और दुसरे देशो में जमा है,
  10. सरकार ने कहा की टैक्स चोरी का मामला है, हम उन देशो से समझौते कर रहे है, जिससे की दोहरा कर न देना पड़े,
  11. यह टैक्स चोरी नहीं भारत देशको लूट डालने का मामला है जिसकी सजा किसान से पूंछो तो सिर्फ मौत देना चाहता है वह भी सब कुछ वसूल लेने के बाद
  12. फिर बात आई की यदि ये भ्रष्टाचारी और लुटेरे इसमे से 15% टैक्स सरकार को दे तो इसे भारत के बैंको में जमा करने दिया जायेगा और किसी को यह हक़ नहीं होगा की वह पूछे की या इतना पैसा कैसे कमाया या लूटा. सरकार इस पर एक कानून ला रही है, क्यों? किसको बचाया जा रहा है? जिसने भी यह गद्दारी की है उसे तो भीड़ ही मार डालेगीइन्ही लोगो की वजह से भारत में इतनी महागायी है की लोग शादी खर्च से बचने के लिए बेटियों की जान ले ले रहे है, किसान आत्महत्या कर रहा ई, गरीब दवा नहीं करा रहा है, बच्चे स्कुल नहीं जा रहे है, इन्हें तो किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जा सकता है, ये यूरिया घोटाला करते है और यूरिया किसान को दुगुने दाम बचा जाता है, फिर गेहू सस्ते में खरीदा जाता है, और अब तो घोटाला 115% हो जायेगा, 115 चुराओ, 15 सरकार को देकर 100 खुद रख लो.
  13. हमारे देश में क्यों अनुसन्धान के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दिया जाता है, यह कीसकी चाल है, जिसकी वजह से हम 5-10 गुना दाम में विदेशी चीजे खरीदते है,
  14. ऐसे कौन से कारण है जिनके कारन हम नेहरू के द्वारा ट्रांसफर अफ पॉवर अग्रीमेंट 14 अगस्त 1947 को दस्तखत करने के बाद भी आज तक विक्सित नहीं बन पाए, जब की हमारी जनता हफ्ते में 90 घंटा काम करती है जबकि कामचोर अंग्रेज हफ्ते में सिर्फ 30 घंटा काम करते है,
  15. क्या कारण है की हमारे 45 रुपये में 1 डालर और 90 रुपये में 1 पौंड मिलाता है, जब की 1947 में 1 रुपये में 1 डालर मिलता था.
  16. क्या कारण है की हमारे देश में एक भी सोलर ऊर्जा वैज्ञानिक नहीं है और दुनिया भर के परमाणु वैज्ञानिक है जो हमें हमेशा झूठा अश्वाव्हन देते है की यह परमाणु बिजली सस्ती और निरापद है भारत की परमाणु से सम्बंधित कुल बाजार 750 लाख करोड़ का होगा. जब की हम भारत में 400000 मेगावाट सोलर बिजली बना सकते है,
  17. हम अभी तक सुरक्षित अन्ना भण्डारण की व्यवस्था क्यों नहीं बना पाए जब की हमारे पास धन की कमी ही नहीं है, क्योकि अन्न को सडा दिखाकर उसे कौड़ियो के भाव शराब माफिया को बचा जाता है जब की गरीब अन्ना बिना मर रहा है, इसके लिए तो कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार होगा, उसकी सजा क्या है,
  18. मीडिया को निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, सभी भारतीयों को पता चल गया है की मिडिया , टीवी और पत्रिकाए सरकार को बिक चुकी है, बड़े शर्म की बात है, शाम को सिर्फ 4 रोटी खाने के लिए भारत माता से गद्दारी क्यों? 19. अगर देश में 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 100 लाख करोड़ रुपयों की होती है. और हमारे देश में रिजर्व बैंक अबतक लगभग 18 लाख करोड़ रुपयों के नोट छाप चुका है और कमसे कम 10 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन में है. इस हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था करीब 400 से 500 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए लेकिन अभी हमारी अर्थव्यवस्था केवल 60 लाख करोड़ की है. जबकि इतनी अर्थव्यवस्था के लिए दो लाख करोड़ से भी कम सर्कुलेशन मनी की जरूरत है.
  19. अगर 400 लाख करोड़ रूपये का काला धन देश में वापिस आ जाता है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 20,000 लाख करोड़ रुपये होगी ... क्या आप जानते हैं कि इस समय अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश है और उसकी अर्थव्यवस्था करीब 650 लाख करोड़ की है... मतलब 400 लाख करोड़ रुपये वापिस मिलने पर हम अमरीका से भी 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली बन सकते है.
20. मीडिया मे बिके हुए देनिक भास्कर ने आज कहा की बाबा स्वदेशी का प्रचार कराते है और खुद के पतंजलि मे 2 एलसीडी सेमसंग की है और ब्लेकबेरी का मोबाइल उनके अधिकारी के पास हैइसी बिके हुए देनिक भास्कर नाम के दल्ले से एक प्रश्न आप अपने आपको मीडिया कहते हो देश बचाने वाले ? क्या आपने कभीकोशिश भी की स्वदेशी को अपनाने की ? आपके लिए एक एग्रीमेंट स्वतन्त्रता हो जाता है लेकिन स्वदेशी आंदोलन कोई महत्व नहीं रखता ? क्योंकि आपकी झोली भारती है सेमसंग जेसी कंपनीय देनिक भास्कर के वैबसाइट पर ही देख लीजिये कितनी विज्ञापन है सेमसंग के देनिक लाखो मे दिल होती है उत्सव मे तो तादात बढ़ जाती है फिर देनिक भास्कर क्यूँ हरामखोरी नहीं करेगा ? बाबा के स्वदेशी आंदोलन से इन दलालो के मालिक कंपनियों ने इन्हे आदेश दिया है की अपनी कलम हमारे यहाँ गिरवी रखें और बाबा का विरोध करें लोगो को बर्गलाए । जिस दिन इस क्रांति ने आक्रामकता का रूप लिया तब इन मीडिया के दलालो का भी हश्र वही होगा जो हेडलाइन टुडे के दफ्तर मे हुआ था आरएसएस के बारें मे झूठ फेलाने के लिए उस स्टिंग से क्या हुआ ना कोई केस ना कोई समान सिर्फ एक झूठ था जनता को बरगलाने के लिए